मेरा अनोखा सपना
रिया अम्बेकर, ३ ए
मेरा अनोखा सपना था कि मैं
मिठाई की दुनिया मे आ गयी थी।
फूल बने थे रसगुल्ले के,
और लड्डू पेड़ पर लटक रहे थे |
घर बने थे बर्फी के,
नदी बनी थी खीर की,
उस पर इधर – उधर तैर रहे थे
छोटे गुलाब जामुन की मछलियाँ |
गाड़ियाँ बनी थी मैसूर पाक की
पौधे बने थे कलाकन्त के
बहुत अच्छी थी ये दुनिया
पर यह तो मेरा सपना था ।