मेरा प्यारा विद्यालाय मंथन
मधुमिता 8B
शांत स्वभाव से सारे सहपाठी कक्षा से बाहर निकलकर विद्यालय का अवलोकन करने लगे | सूरज सिर पर था, अपनी रौशनी फैला रहा था। फूलों की महक ने दिल को छू लिया।
पत्तों की हरियाली और इमली का चटकदार खट्टा स्वाद नेे दिल को बदमस्त करता है | अहा ! स्वच्छ हवा मेरे विद्यालय के प्रांगन से होती हुई फूलों की खुशबु को बिखेरती हुई हम छात्रों को छूती हुए गुज़र रही थी|
माली जब पेड़ों को पानी दाल रहा था तो मिट्टी की सौंधी महक मन को पुलकित कर रही थी |
क्या बताऊं! शब्द ही नहीं मिल रहे हैं जो मेरे अनुभव पर सटीक बैठ सकें | शहर का शोर एक तरफ और मेरे विद्यालाय की मनमोहक प्रकृति एक तरफ़ | कोई जादू से कम नहीं लग रहा है यह नज़ारा |
लेखक परिचय:
मेरा नाम मधुमिता है |
मैं 8 B की छात्रा हूँ |
मुझे चित्र बनाना अच्छा लगता है |
नृत्य कला मेरा जुनून है |