बेटी बचाओ ! बेटी को पढ़ाओ !
ई.टी.याशिका 8B
यह कहानी पुराने ज़माने की है, जब नारी को केवल घर का काम करने वाली समझा जाता था |
ऎसी कमतर सोच वालों में से एक था पंकज | पंकज का विवाह हुआ और उसके यहाँ बेटी ने जन्म
लिया | उसका नाम प्रिया था | कुछ वर्ष के बाद ही उसकी पत्नी चल बसी | तबसे बेटी को बहुत प्यार
करता था | लाड-प्यार में कोई कमी नहीं करता था |
पाठशाला में सब प्रिया को जानते थे क्युँकि वह पढ़ाई में हमेशा प्रथम आती थी |
इस तरह पाँचवीं कक्षा के होते ही एक दिन पंकज ने प्रिया को आगे की पढ़ाई करने से मना कर दिया |
प्रिया के पूछने पर बताता है कि, दस वर्ष के होते ही लड़की को बाहर नहीं जाने देते हैं, यह इस गाँव
का नियम है | प्रिया इसकी बात से सहमत नहीं थी | उसने अपना खाना-पानी बंद कर दिया और
विद्यालय जाने की इच्छा प्रकट की |
पंकज भी बेटी के बराबर भूखा था दो-तीन दिन तक | जब बेटी की तबियत खराब होने लगी तो फिर
से समझाने की कोशिश की पर कोई असर नहीं हुआ प्रिया पर | बेटी की ये हालत उससे देखी नहीं गई
और वो मान गया | पर इसका परिणाम बुरा निकला | उसको गाँव वालों का तिरस्कार सहना पड़ा |
सब कुछ सह लिया और बेटी को पाठशाला जाने दिया |
पंद्रह वर्ष बाद प्रिया एक वैज्ञानिक बनकर गाँव में कदम रखी | सब उसको हीन दृष्टि से देख रहे थे |
घर पहुँचते-पहुँचते उसने देखा कि लोग परेशान हैं ,खेती की ज़मीन बंजर बन गई है | लोग भूखों मर
रहे हैं | घर पहुंचकर खान-पान के बाद सोने की कोशिश की और अपने पिता से पूछा कि क्या हो गया
है अपने गाँव को ? क्यों सब परेशान हैं ?
पिता ने बताया कि ,- “बेटी ! गाँव में बाड़ आने के कारण मिट्टी का सार सब बहा ले गया | अब यहाँ
कोई फसल नहीं होती और सब भूखे मर रहें हैं | “
प्रिया को उस रात भर नींद नहीं आई | उसको एक उपाय सूझा और मिट्टी एक बसते में लेकर अपने
बक्से से कुछ सामान निकाला और जांच करने लगी | फिर उसने अपने पिता को बताया कुछ दवाइयाँ
और खाद लाकर अपने बंजर खेत में डालें और उसी खेत में जवार दालकर पानी दें | पंकज ने ऐसा ही
किया | एक सप्ताह तक इंतज़ार के बाद जवार के अंकुर आने लगे | सारे गाँव में ढिंढोरा पीटा गया कि
पंकज की खेती फिर से हरी-भरी हो गई और पंकज को पंचायत ने बैठक में बुलाया है |
पंकज ने पंचायत में सारी बात बताई तो लोगों के होश उड़ गए और प्रिया को सभी ने शाबाशी दी |
उस दिन के बाद उस गाँव के क्या सभी गाँव की लड़कियां पाठशाला जाने लगीं |
लेखक परिचय:
मेरा नाम ई.टी.याशिका है |
मैं आठवीं कक्षा की छात्रा हूँ |
मुझे तैरना और नाचना पसंद है |
मुझे पढ़ना अच्छा लगता है और मेरी रूचि विज्ञान में है |
मैं वैज्ञानिक बनना चाहती हूँ |