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(हमारे कक्षा में प्रतिक्रिया के तरह हम सभी को एक अख़बार दिया गया था, जिससे हमें कठिन शब्जी को लेकर एक कहानी बनाना था। मुझे यह शब्द मिले:
अलगाववादी , मेजबानी, इंसानियत, निजी, दफन, दिवंगत, प्रतिपक्ष, गुलाम, आह्वान )

एक ईमानदार गुलाम
-----महती कट्टमुरी , कक्षा ९ A

पुराने राज्य में एक अमीर परिवार के साथ एक बूढ़ा गुलाम था। वह सहयोगी, परिश्रमी, सच्चा , और ईमानदार आदमी था और अपने पैसे के लिए बहुत काम करता था। वह निजी स्वार्थ से दूर था, और सिर्फ दूसरों के

लिए जीता था। उसका नाम किसी को नहीं पता , लेकिन सभी उसे प्यार से देखते थे क्योंकि वह सभी का भला चाहता था। वह इतने अच्छा थे कि उसके प्रतिपक्ष में कोई नहीं था। जब राजा न इस गुलाम के बारे में सुना

तो उसे बहुत अच्छा लगा और उन्होंने तुरंत निश्चय किया कि वह गुलाम अपने दरबार में मंत्री की तरह रहेगा। उन्होंने गुलाम को अच्छे मेजबानी के तरह आह्वान किया और मंत्री पद दे दिया। लेकिन उस राज्य में कुछ अलगाववादी मंत्री भी थे जो इस बात को सुनकर बहुत क्रोधित हुए। ये लोग ईर्ष्या और जलन से तंग थे और चाहते थे कि यह गुलाम दिवंगत हो जाए ताकि लोग उन्ही को पसंद करे।

इन मंत्रियो ने मिलकर गुलाम को मारने के लिए योजना बनाई और रात में गुलाम की मौत अनिवार्य था। मंत्री ने जल्दी से लाश को सागर में फ़ेंक दिया। ये सब रात में किया गया। लेकिन जब सुबह हुई तब पता चला कि दफन में कोई नहीं था ! गुलाम ने उस रात राजा के साथ समय बिताने के लिए गया था। जब राजा ने बाहर आकर दफन को देखा तो उसे सब समाज में आया और मंत्रियो के इंसानियत न होने के कारण उन सब को सजा मिला।