मेरा बचपन
मै आज भी अपने बचपन को याद करकर हूँ मुड़ता
काश! वह लम्हा हमेशा के लिए रुकता,
परंतु वक़्त किसी की नहीं सुनता,
मैं प्रतिदिन अपने बचपन को स्मरण करता ही रहता।
हैं खेलते थे हम अनेक खेल,
छाँ जाता था हम दोस्तों का ताल-मेल,
हम सब हट्टे-खट्टे खाते थे तेल,
और पसंद था हमें क्रिस गेल!
ज़िदगी में बचपन के लम्हे थे सबसे यादगार,
तब नहीं था इस उम्र की तरह मिलता रोज़गार,
आज चलाता हूँ कार, पर तब चलाता था खिलौने की कार,
मैं बहुत खुश हूँ कि मेरा बचपन नहीं गया बेकार।
बचपन हैं सबसे अच्छा,
उसका लम्हा था सबसे अनोखा।
नाम: ऋषभ जैन
कक्षा : सातवी ( बी )