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अमर वीर सिपाही !

छू गई उस देश की नर्म धूलि ,

गई है वह स्वतंत्रता की भाव भूली |

रक्तमय शरीर और मन में क्रोधाग्नि ,

माथे पर माटी का तिलक ,मन में देश भक्ति |

साहस और विश्वास ने हटाया डर,

भारत माँ ने बुलाया, आ ! मेरे शरण में मर !

कितने आंसू झेले और कितने यहाँ जान गंवाए ,

शहीद तो मेरे देश के, वैसे के वैसे हैं सोए |

अणु-अणु में थी देश के लिए भक्ति ,

क्या अब हम में नहीं है लड़ने की शक्ति ?

याद करते हैं हम उन्हें ,जो थे निडर ,

इसी स्थल पर जन्म लिए थे वे महान नर |

ना जाने कितना कष्ट सहा है भारत माता ने ,

अपने शिशुओं को ममता से पाला था उसने |

जन्म-जन्मांतर उस दूध के क़र्ज़ को याद रख ,

चाहे युग बीते,लड़ते रह अपनी मृत्यु तक |

रात-दिन एक कर लड़ते-लड़ते चुप हो गए वो वीर शहीद !

अब अपनी बारी आई है , देश की रक्षा करते चाहे होजाएं शहीद !

Shrikari –Grade 9B