काश! मैं एक मछली होता
काश! मैं एक मछली होता ।
तालाब मैं साँस ले पाता।
आदमी के घर से दूर रहता।,
कोई मुझे पकड़ नही पाता।
शत्रु को मार देता,
अपने परिवार को बचा लेता।
मैं काफ़ी तेज़ी से तैरता,
पानी के खेल सबको दिखाता।
मैं आराम से सोता,
कोई मुझे नही उठाता।
कोई मुझे नही उठाता।।
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लेखक परिचय:
करन मंथन पाठशाला (माधापुर) की कक्षा 3C में पढता है। उसे गर्मी के मौसम में तैरना अच्छा लगता है। उसे खेलना-कूदना पसंद है।