बारिश आई, बारिश आई
काश्वी (कक्षा III ‘ब’)
बारिश आई , बारिश आई |
छम – छम - छम ,
कागज़ की नाव बनाए हम,
नाव गीली हुई,
हँस पड़े हम,
मम्मी ने आओ बुलाया,
चल पड़े हम |
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बारिश आई, बारिश आई
काश्वी (कक्षा III ‘ब’)
बारिश आई , बारिश आई |
छम – छम - छम ,
कागज़ की नाव बनाए हम,
नाव गीली हुई,
हँस पड़े हम,
मम्मी ने आओ बुलाया,
चल पड़े हम |
हे !विद्यार्थी !सीखो !
-फरज़ाना (शिक्षिका)
हे विद्यार्थी! चलना सीखो |
सद्गुरुओं के सच्चे पथ पर ||
मेहनत करके पढ़ना सीखो |
सर्व प्रथम कहलाना सीखो ||
सत् समाज में रहना सीखो |
फूलों में गुलाब की तरह ||
बुराईयों से बचना सीखो |
भेड़िये से बकरी की तरह ||
सत्य मार्ग पर चलना सीखो |
महात्मा गांधी की तरह ||
सच्ची बात करना सीखो |
सत्य हरिश्चंद्र की तरह ||
सबसे मिलकर रहना सीखो |
दूध में पानी की तरह ||
सबको समानता से देखना सीखो |
दर्पण में छाया की तरह ||
दुश्मनों को भगाना सीखो
अल्लूरी सीतारामा राजू की तरह ||
गरीबी को हटाना सीखो |
अँधेरे में चाँद की तरह ||
हँसते हुए जीना सीखो |
खिले हुए कलियों की तरह ||
हे ! विद्यार्थी ! सीखो ,सीखो |
सीखकर आचरण न भूलो ||
मेरी यात्रा
मेरा नाम अनन्या है | मैं उत्तर भारत की रहने वाली हूँ | मैं उस राज्य की रहने वाली हूँ जहाँ एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार मनाया जाता जिसे हम छठ पूजा कहते हैं | इसी पूजा में मैं अपने मम्मी – पापा और अपने छोटे भाई के साथ सम्मलित होने गई थी | मैं आपको इसी यात्रा के बारे में अवगत करने जा रही हूँ |
मेरी यात्रा रेलगाड़ी से शुरू हुई | हमलोग प्लेटफार्म पर रेलगाड़ी का इंतज़ार कर रहे थे जोकि अपने सही समय पर आई | ट्रेन के रुकते ही सारे लोग ट्रेन के अंदर भीड़ लगाकर घुस गए | जैसे – तैसे हम लोग भी अपने आरक्षित स्थानों पर बैठ गए | हमारे सहयात्री बहुत अच्छे मिले जिससे हमारी यात्रा अच्छे से कटी |
जब मैं अपने परिवार के बीच में पहुँची तो मुझे बहुत ही खुशी हुई क्योंकि वहाँ चारो तरफ़ छठ पूजा का माहौल था | वहाँ मेरे बहुत सारे कज़िन आए हुए थे जिनके साथ मैंने बहुत मज़ा किया और साथ ही साथ मैंने पूजा में भी हाथ बँटाया | चार दिन में ही पूजा का समापन हो गया | सबसे मैंने विदा लिया और उन अच्छे यादों को मन में लेकर वापस आ गई | मेरी यात्रा यहीं समाप्त होती है|
अनन्या
कक्षा – ६