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मूर्ख दूधवाली

एक गाँव में एक दूधवाली रहती थी| वह गाँव से दूध खरीदकर शहर ले जाकर बेचती थी| एक दिन वह अपने सिर पर मटकी रखकर शहर जा रही थी, तो रास्ते में वह एक गहरी सोच में पड़ गयी कि उसके पास बहुत पैसों की बचत हो गयी जिसकी वजह से उसने एक गाय खरीदी | धीरे-धीरे उसके पास काफी रुपए आ गए और वह बचत करती रही | थोड़े दिन बाद उसने और गाएँ खरीदी और दूध बेचने लगी | कुछ दिनों के बाद, उसने उन गायों को बेच दिया जिससे उसका वेतन बढ़ा और उसने उन पैसों से एक बड़ा घर और खूब गहनें ख़रीदे और बहुत  अमीर बन गई | वह अपने अमीर होने पर बहुत खुश हुई | वह अपना एक हीरा उठाने गई और जब उसने इतनी ताकत से उठाया, कि वह नकली हीरा भी टूटा और उसका सपना भी |

संजना
७ अ

भारत की सांस्कृतिक एकता

भारत एक ऐसी जगह है जिधर अन्य धर्म के लोग एक साथ अपने-अपने त्योहार एक साथ मानते हैं। हिन्दू ईद मानते है, और मुसलिम दिवाली। भारत में मुसलिम, फारसी, हिन्दू, इसाई, सिख, सूफी, आदि मिलजुल कर रहते है।

भारत की अनोखी बात यह है कि यहाँ हर शहर में अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं। गुजरात और राजस्थान में घागरा-चोली, कुर्ता-पजामा पहनते है। इधर नवरात्रि धूम- धाम से मनायी जाती हैं। तेलंगाना में लुंगी और साड़ी पहनते हैं। और यहाँ बतकम्मा त्योहार मानते हैं।

सामान्य रूप से भारत से दिवाली, क्रिसमस, और ईद धूम-धाम से मनायी जाती हैं। सभी लोग सज-धज कर एक-दुसरे की कली जी की खिला देते हैं।

मेरा भारत सबसे अनूठा, प्यारा, और निराला है...

मेरा भारत महान!!! जय हिन्द!!

मेरा नाम सान्या है और मैं सातवी कक्षा में पढ़ती हूँ। मेरी रूचि नाचना और खाना बनाना है।

सान्या गुप्ता 7 अ

क्या सरकस में जानवरों के करतब दिखाए जाने चाहिए ?

मैंने सरकस देखा था | मेरा विचार है कि सरकस में जानवरों के करतब नहीं दिखाना चाहिए क्योंकि जानवर भी एक मनुष्य की तरह जीता है और हमारे आनंद के लिए उन्हें उपयोग करना गलत है | मेरा यह विचार है कि सरकस में जानवर का उपयोग नहीं करना चाहिए | सरकस के मालिक को समझ आएगा अगर वह एक सरकस का जानवर होता | अगर वो एक बार सोचता है कि वो जानवरों को कितनी हिंसा पहुँचा रहा है तो उन्हें पता चलेगा कि सरकस में जानवरों के करतब दिखाना कितना गलत है | सरकस चलाना बुरा नहीं है पर उसमें जानवरों का उपयोग करना गलत है | अगर आप किसी जानवर को सरकस के लिए ले जाते हैं तो वो अपने परिवार से कभी मिल नहीं पाता है और अगर वो जानवर अपने परिवार से नहीं मिल सकता है तो वह बहुत दुखी हो जाता है  |

समप्रिथ
कक्षा ६ ब

क्या सरकस में जानवरों के करतब दिखाए जाने चाहिए ?

जानवरों से करतब करवाना नहीं चाहिए | जानवर जो करतब करते हैं वो हमें तो अच्छे लगते हैं लेकिन उन जानवरों को बहुत तकलीफ़ होती हैं उन्हें इतने खतरनाक करतब सीखने पड़ते हैं |हमें सिर्फ़ अपने मज़े के लिए इन जानवरों की जिंदगी खतरे में नहीं डालनी चाहिए | ये जानवर जो करतब करते हैं इनका भी परिवार होता हैं और हम इन्हें उनके परिवार से अलग करते हैं तो वह भी उदास हो जाते हैं जैसे की हम अपने परिवार से अलग होकर  उदास हो जाते हैं |जब यह करतब करते हैं तो यह थक जाते हैं लेकिन फिर भी इन्हें बहुत कम खाना देते हैं |सरकस वालों के पास इतने पैसे भी नहीं होते कि वह जानवरों को बहुत अच्छा खाना दे सकें |

साद
कक्षा ६बी

मेरे पिताजी

मेरे पिता जी है मेरे,
सच्चे दोस्त हमेशा से,
करते है बड़े काम,
है मेरे भगवन राम |

डाँटते है कभी-कभी,
मिलझुल के रहते हैं हम सभी,
खाते हैं फल कच्चे,
पर है बहुत अच्छे |

मुझे दी एक रिंग,
नाचते हैं जैसे सिंह,
सुबह-सुबह उठाते,
सभी समस्याओं को दूर मिटाते |

रितिका
कक्षा ६

क्या सरकस में जानवरों के करतब दिखाए जाने चाहिए ?

मेरे विचार से, जानवरों के करतब नहीं दिखाए जाने चाहिए| निर्दोष जानवरों को अपने परिवार से अलग करा जाता है| क्या आपने सोचा है कि अगर आप अपने बच्चे और परिवार से दूर कर दिए जाते तो आपको कैसा लगेगा? ज़्यादातर सरकसों में उन जानवरों को मारा-पीटा जाता है ताकि वह डरे| उन्हें ताज़ा खाना भी नहीं दिया जाता है| उन जानवरों को तो खुले में रहने की और जंगलो की आदत होती पर उन्हें चार दीवारों में लाकर बंद किया जाता है| यह सब केवल इंसानों के मनोरंजन के लिए होता है| क्या हम इंसान इतने बुरे हैं कि एक जानवर को इतना कष्ट दें ? हमें इनके बारे में सोचना चाहिए और जानवरों के करतबों को रोकना चाहिए|

असावरी
कक्षा ६  
मेरा नाम असावरी है| मैं ग्यारह साल की हूँ| मुझे किताबे पढ़ना, कहानियाँ लिखना तथा दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है|

अमूल्य जीवन ! (फ़रज़ाना)

ना अभिमान कर ऐ इन्सान अपने धन पर,

गर्व और अहंकार में अपने आप को सब कुछ समझकर |

ऐसा कोई धनवान अबतक कायम नहीं रहा ,

इतिहास गवाह है, कई धनवानों का गर्व हवा होकर है रहा !

समय का पहिया हमेशा जादू की छड़ी घुमाताहै रहा |

जिसने समय की उपेक्षा की, उसका नामो-निशान बाकी ना रहा ||

अपनी बड़ाई जो करते रहे, ऐसों का तमाशा पल भर का ही रहा ,

जिसने मेहनत की, उसका नाम आदि से अंत तक रहा |

भले मनुष्य की भलाई को न तराज़ू में तोलो कभी ,

आज धरती हरी-भरी है तो ऐसों से ही |

वो बुरा किसी का क्या करेंगे, जो हमेशा खुद पर रोते रहते ,

हाथों की लकीरों को मानकर अपनी किस्मत को कोसते रहते हैं |

कीड़े-मकोड़ों की तरह न जीना, उठ ! आगे बढ़ ! कामियाबी तेरा रास्ता देखे ||

ज़िंदगी मिलेगी नहीं दुबारा दोस्त, जीले जीवन होकर बदमस्त |

अपने आप पर विश्वास रख, न घबरा, ज़्यादा न सोच ||

चल, पैरों को दे, मंज़िल का पता ,

लंबी साँस ले और बाहों को दे फैला |

फिर देख कुछ पाने के बाद कितना सुकून मिलेगा जीवन में |

देखना एक दिन तू सितारा नहीं, चाँद बनके चमकेगा गगन में ||