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अगर पता चल जाए कि आप का अंत कब और कैसे होने वाला है तो ....

धन्यवाद |

मेरा नाम संजना मिश्रा है और मैं कक्षा दस ‘ब’ में पढ़ती हूँ मुझे काल्पनिक लेख पढ़ना व लिखना बहुत पसंद है

सबसे पहले मैं चिंतित हो जाऊँगी | मेरे दिमाग में यह बात अपनी मृत्यु तक, हर पल रहेगी | परंतु मैं ज़्यादा सोचने की कोशिश न करके, अपनी ज़िन्दगी जीऊँगी | अपने सपने सच करने की पूरी कोशिश करुँगी |

सबसे पहले, मैं कुछ ऐसी जगहों पर जाऊँगी जहाँ मुझे हमेशा से जाने का मन था, जैसे:- न्यूयार्क, पेरिस, उदयपुर, रोम, आदि | इन जगहों से मैं खूब सारी खरीदारी करुँगी, क्योंकि मुझे खरीदारी करना बहुत पसंद है |

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हिंदी भाषा अभिव्यक्ति प्रतियोगिता

निबंध – लेखन
विषय – इन्टरनेट होते हुए अध्यापकों की भला क्या आवश्यकता
छात्रा का नाम --- सरायु 8 A

एक बच्चे के छात्र जीवन में वह इंसान जो उनके लिए सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, वह है – अध्यापक !
बच्चों को जीवन में सही और ग़लत का अंतर का पता नहीं रहता है | उन्हें अनुशासन का पालन सिखाना बहुत ज़रूरी होता है | यह काम एक अध्यापक से बेहतर भला और कौन कर सकता है ?
आज की दुनिया में इन्टरनेट से भी हम सीख सकते हैं पर इन्टरनेट अच्छा व्यवहार और अनुशासन नहीं सिखाता है |  इन्टरनेट हमें कॉलेज की पढ़ाई के लिए ज्ञान तो दे सकता है पर एक अच्छा इंसान बनने के लिए कुछ

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हिंदी भाषा अभिव्यक्ति प्रतियोगिता

निबंध–लेखन
विषय – इन्टरनेट होते हुए अध्यापकों की भला क्या आवश्यकता
छात्रा का नाम---शिंजिनी             कक्षा – 8 C

हर घर में कम्प्यूटर है | सभी के पास इंटरनेट भी है | जिसके द्वारा हम पढ़ सकते हैं और  जानकारी हासिल कर सकते हैं | पर क्या वह एक शिक्षक के समान ज्ञान दे सकता है ?
विद्यार्थी जीवन के लिए शिक्षक बहुत महत्त्वपूर्ण है | शिक्षक वह होता है जो विद्यार्थी का हाथ पकड़कर उसे विजय पथ का रास्ता दिखाता है | क्या इंटरनेट यह कर सकता है ? इंटरनेट हमेशा के लिए नहीं रहेगा | जब कम्प्यूटर चलना बंद हो जाएँगे उस दिन से इंटरनेट की भूमिका भी कम हो जाएगी | उसपर निर्भर रहने से हमारे ज्ञान की क्षमता भी कम हो जाएगी |
एक शिक्षक हमें ज्ञान के साथ-साथ अनुशासन और शिष्टाचार सिखाता है | वह हमारे स्वभाव को निर्मल बनाने एवं आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में हमारी मदद करता है | शिक्षक ही हमें सही और ग़लत का फ़र्क़ बताता है |

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मैं क्या हूँ ?

मैं क्या हूँ, मैं क्या हूँ ?
भगवान की एक रचना,
या भगवान की ग़लती!

मैं इस दुनिया के लिए क्या हूँ ?
एक उपयोगी,
या एक बेकार इन्सान !

मैं तुम्हारे लिए क्या हूँ ?
एक दोस्त, एक क़रीबी दोस्त,

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दोस्ती

दोस्ती है शक्ति,    
दोस्ती है प्यार,
दोस्ती है भाईचारा,
दोस्त मेरा यार |

इस बंधन को कोई तोड़ नहीं सकता |

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हिंदी जानना क्यों ज़रूरी है ?

आज सब अंग्रेज़ी के पीछे पड़े हैं | ज़्यादातर विश्वविद्यालय और विद्यालय के बच्चे अपनी मातृभाषा के बजाय अंग्रेज़ी माध्यम में पढ़ाई कर रहे हैं | यह एक बड़ी त्रासदी है जो सम्पूर्ण भारत में पसरा हुआ है, बच्चों को हिंदी के बजाय अंग्रेज़ी पढ़ाया जा रहा है जबकि हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा हिंदी है | यहाँ हम पूछ सकते हैं कि राष्ट्र भाषा को उसका देश नहीं सीखेगा तो कौन सीखेगा ? हिंदी ही वह भाषा है जो हमारे विचारों और भावनाओं को व्यक्त कर सकती है | यह अनोखी और सुंदर भाषा हमारे देश की धरोहार है, और हमें बच्चों और देश के सुनहरे भविष्य के लिए इस धरोहर को अक्षुण्ण रखना होगा ।
धन्यवाद
मेरा नाम दिशा गर्ग मैं कक्षा 10 ‘अ’ (IGCSE) की छात्रा हूँ | मुझे अपने खाली समय में ड्रम्स बजाना पसंद है और संगीत सुनने में भी मेरी रुचि है |

माता–पिता दोनों के आजीविका में जुड़े रहने से परिवार पर पड़नेवाला प्रभाव

मेरे माता-पिता दोनों ही कामकाजी हैं, और लगभग पूरे दिन घर पर नहीं रहते, इस वजह से इसका मेरे जीवन पर बहुत बड़ा(बुरा) असर पड़ रहा है | हालांकि मुझे पता है कि वे हमारे लिए ही काम करते हैं | पर मैं बहुत अकेलापन महसूस करती हूँ |

मेरे परिवार में केवल मैं और मम्मी-पापा हैं, दादी कभी-कभार हमारे घर आती हैं, पर ज़्यादा समय तक रूकती नहीं हैं |  विधालय से शांत घर में आने पर मुझे घर, घर नही लगता | सुबह का बना ठंडा व सादा खाना खाने को मिलता है , कई बार तो मम्मी को खाना बनाने के लिए भी समय नही मिल पता है इस कारण मैं अधिकतर जंकफ़ूड ही कहती हूँ | इस से  मेरे  पर शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है ,मैं कई बार बीमार पड़ चुकी हूँ फ़ूड पॉइजनिंग के कारण |

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वर्षा ऋतु

कक्षा – ७ बी
मेरा नाम रिशित शर्मा है।  मुझे क्रिकेट खेलना बहुत पसंद हैं। क्रिकेट के साथ-साथ मुझे कविता लिखने का शौक भी  है। हिंदी मेरा प्रिय विषय है।

आज का दिन है बहुत खुशहाल,
नीचे  खेलने गए मैं और  मेरा दोस्त कुशाल |
हम  खेलने वाले  थे  क्रिकेट,
पर फ़िर पता चला कि हम भूल गए अपना विकेट |

फिर  बादल आये भाग -भाग  कर,

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